Kavach_Collection_-_श्री_दुर्गा_कवच,_kavach_in_hindi

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warning: ICC support is not available Kavach Collection - श्री दुगार् कवच, kavach in hindi

ऋिष माकर्ं ड़य ने पूछा जभी !

दया करके ब्रह्माजी बोले तभी !! के जो गुप्त मंत्र है संसार में ! हैं सब शिक्तयां िजसके अिधकार में !!

हर इक का कर सकता जो उपकार है !

िजसे जपने से बेडा ही पार है !!

पिवत्र कवच दुगार् बलशाली का !

जो हर काम पूरे करे सवाल का !! सुनो माकर्ं ड़य मैं समझाता हूँ ! मैं नवदुगार् के नाम बतलाता हूँ !!

कवच की मैं सुन्दर चोपाई बना ! जो अत्यंत हैं गुप्त देयुं बता !! नव दुगार् का कवच यह, पढे जो मन िचत लाये ! उस पे िकसी प्रकार का, कभी कष्ट न आये !!

कहो जय जय जय महारानी की !

जय दुगार् अष्ट भवानी की !!

पहली शैलपुत्री कहलावे !

दूसरी ब्रह्मचिरणी मन भावे !!

तीसरी चंद्रघंटा शुभ नाम !

चौथी कु श्मांड़ा सुखधाम !!

पांचवी देवी अस्कं द माता !

छटी कात्यायनी िवख्याता !!

सातवी कालराित्र महामाया !

आठवी महागौरी जग जाया !!

नौवी िसिद्धराित्र जग जाने !

नव दुगार् के नाम बखाने !!

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महासंकट में बन में रण में !

रुप होई उपजे िनज तन में !!

महािवपित्त में व्योवहार में !

मान चाहे जो राज दरबार में !!

शिक्त कवच को सुने सुनाये !

मन कामना िसद्धी नर पाए !! चामुंडा है प्रेत पर, वैष्णवी गरुड़ सवार ! बैल चढी महेश्वरी, हाथ िलए हिथयार !!

कहो जय जय जय महारानी की !

जय दुगार् अष्ट भवानी की !!

हंस सवारी वारही की !

मोर चढी दुगार् कु मारी !!

लक्ष्मी देवी कमल असीना !

ब्रह्मी हंस चढी ले वीणा !!

ईश्वरी सदा बैल सवारी !

भक्तन की करती रखवारी !!

शंख चक्र शिक्त ित्रशुला !

हल मूसल कर कमल के फ़ू ला !!

दैत्य नाश करने के कारन !

रुप अनेक िकन्हें धारण !!

बार बार मैं सीस नवाऊं !

जगदम्बे के गुण को गाऊँ !!

कष्ट िनवारण बलशाली माँ !

दुष्ट संहारण महाकाली माँ !!

कोटी कोटी माता प्रणाम !

पूरण की जो मेरे काम !! दया करो बलशािलनी, दास के कष्ट िमटाओ ! चमन की रक्षा को सदा, िसं ह चढी माँ आओ !!

कहो जय जय जय महारानी की !

जय दुगार् अष्ट भवानी की !!

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अिग्न से अिग्न देवता !

पूरब िदशा में येंदरी !!

दिक्षण में वाराही मेरी !

नैिवधी में खडग धािरणी !!

वायु से माँ मृग वािहनी !

पिश्चम में देवी वारुणी !!

उत्तर में माँ कौमारी जी!

ईशान में शूल धािरणी !!

ब्रहामानी माता अशर् पर !

माँ वैष्णवी इस फशर् पर !! चामुंडा दसों िदशाओं में, हर कष्ट तुम मेरा हरो ! संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!

सन्मुख मेरे देवी जया !

पाछे हो माता िवजैया !!

अजीता खड़ी बाएं मेरे !

अपरािजता दायें मेरे !!

नवज्योितनी माँ िशवांगी !

माँ उमा देवी िसर की ही !! मालाधारी ललाट की, और भ्रुकु टी िक यशवर्िथनी ! भ्रुकु टी के मध्य त्रेनेत्रायम् घंटा दोनो नािसका !! काली कपोलों की कणर्, मूलों की माता शंकरी ! नािसका में अंश अपना, माँ सुगंधा तुम धरो !! संसार में माता मेरी, रक्षा करो रक्षा करो !!

ऊपर वाणी के होठों की !

माँ चन्द्रकी अमृत करी !!

जीभा की माता सरस्वती !

दांतों की कु मारी सती !!

इस कठ की माँ चंिदका !

और िचत्रघंटा घंटी की !!

कामाक्षी माँ ढ़ोढ़ी की !

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माँ मंगला इस बनी की !!

ग्रीवा की भद्रकाली माँ !

रक्षा करे बलशाली माँ !! दोनो भुजाओं की मेरे, रक्षा करे धनु धारनी ! दो हाथों के सब अंगों की, रक्षा करे जग तारनी !! शुलेश्वरी, कु लेश्वरी, महादेवी शोक िवनाशानी ! जंघा स्तनों और कन्धों की, रक्षा करे जग वािसनी !! हृदय उदार और नािभ की, कटी भाग के सब अंग की ! गुम्हेश्वरी माँ पूतना, जग जननी श्यामा रंग की !! घुटनों जन्घाओं की करे, रक्षा वो िवं ध्यवािसनी ! टकखनों व पावों की करे, रक्षा वो िशव की दासनी !! रक्त मांस और हिड्डयों से, जो बना शरीर ! आतों और िपत वात में, भरा अग्न और नीर !! बल बुिद्ध अंहकार और, प्राण ओ पाप समान ! सत रज तम के गुणों में, फँ सी है यह जान !! धार अनेकों रुप ही, रक्षा किरयो आन ! तेरी कृ पा से ही माँ, चमन का है कल्याण !! आयु यश और कीितर् धन, सम्पित पिरवार ! ब्रह्मणी और लक्ष्मी, पावर्ती जग तार !! िवद्या दे माँ सरस्वती, सब सुखों की मूल ! दुष्टों से रक्षा करो, हाथ िलए ित्रशूल !! भैरवी मेरी भायार् की, रक्षा करो हमेश ! मान राज दरबार में, देवें सदा नरेश !! यात्रा में दुःख कोई न, मेरे िसर पर आये ! कवच तुम्हारा हर जगह, मेरी करे सहाए !! है जग जननी कर दया, इतना दो वरदान ! िलखा तुम्हारा कवच यह, पढे जो िनश्चय मान !! मन वांिछत फल पाए वो, मंगल मोड़ बसाए ! कवच तुम्हारा पढ़ते ही, नविनिध घर मे आये !! ब्रह्माजी बोले सुनो माकर्ं ड़य !

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warning: ICC support is not available यह दुगार् कवच मैंने तुमको सुनाया !!

रहा आज तक था गुप्त भेद सारा !

जगत की भलाई को मैंने बताया !! सभी शिक्तयां जग की करके एकित्रत ! है िमट्टी की देह को इसे जो पहनाया !! चमन िजसने श्रद्धा से इसको पढ़ा जो ! सुना तो भी मुह माँगा वरदान पाया !! जो संसार में अपने मंगल को चाहे !

तो हरदम कवच यही गाता चला जा !!

िबयाबान जंगल िदशाओं दशों में !

तू शिक्त की जय जय मनाता चला जा !! तू जल में तू थल में तू अिग्न पवन में !

कवच पहन कर मुस्कु राता चला जा !! िनडर हो िवचर मन जहाँ तेरा चाहे !

चमन पाव आगे बढ़ता चला जा !!

तेरा मान धन धान्य इससे बढेगा ! तू श्रद्धा से दुगार् कवच को जो गाए !! यही मंत्र यन्त्र यही तंत्र तेरा ! यही तेरे िसर से हर संकट हटायें !!

यही भूत और प्रेत के भय का नाशक ! यही कवच श्रद्धा व भिक्त बढ़ाये !!

इसे िनसिदन श्रद्धा से पढ़ कर ! जो चाहे तो मुह माँगा वरदान पाए !! इस स्तुित के पाठ से पहले कवच पढे ! कृ पा से आधी भवानी की, बल और बुिद्ध बढे !! श्रद्धा से जपता रहे, जगदम्बे का नाम ! सुख भोगे संसार में, अंत मुिक्त सुखधाम !! कृ पा करो मातेश्वरी, बालक चमन नादाँ ! तेरे दर पर आ िगरा, करो मैया कल्याण !!

!! जय माता दी !!

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